Diwali Essay in Hindi |Diwali Nibandh
कूड़ाकरकट बाहर फेंकते हैं । सफेदी करवाते हैं । घरों को खूब सजाते हैं । यह सफाई का भी पर्व है । बाजारों में भांति-भांति की मिठाइयां सजी हुई होती हैं । बच्चे सुन्दर सुन्दर कपड़े पहनकर अपने माता, पिता, भाई बहिन, आदि के साथ बाजार जाकर मिठाइयां, खिलौने चित्र कंडील, गुब्बारे, मोमबत्तियां आदि खरीदकर लाते हैं । सब के मन बड़े प्रसन्न होते हैं । सायंकल होते ही हम घरों के ऊपर तेल के दिये या मोमबत्तियां जलाते हैं ।
कुछ लोग बिजली की लड़ियों का प्रकाश करते हैं । उस समय चारों ओर बड़ी सुन्दर दीपमाला होती है । फिर सब मिलकर मिठाइयां खाते हैं । पटाखे चलाये जाते हैं । लंका के राजा रावण को मारने के बाद श्रीराम | चन्द्र जी सीता आदि के साथ इस दिन अयोध्या में आये थे । तब अयोध्या में बड़े उत्साह से दीपमाला हुई थी। हम भी उसी दिन की याद मनाते हैं । दिवाली को कुछ लोग जुआ खेलते हैं । यह प्रथा बुरी है । दिवाली मनाने से देश में नया जीवन पैदा होता है ।
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