Cleanliness Essay in Hindi |Cleanliness Nibandh
स्वच्छता मानव समुदाय का एक आवश्यक गुण है। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव के सरलतम उपायों में से एक प्रमुख उपाय है। यह सुखी जीवन की आधारशिला है। इसमें मानव की गरिमा, शालीनता और आस्तिकता के दर्शन होते हैं। स्वच्छता के द्वारा मनुष्य की सात्विक वृत्ति को बढ़ावा मिलता है।
साफ़-सुथरा रहना मनुष्य का प्राकृतिक गुण है। वह अपने घर और आसपास के क्षेत्र को साफ रखना चाहता है। वह अपने कार्यस्थल पर गंदगी नहीं फैलने देता। सफ़ाई के द्वारा वह साँपों, बिच्छुओंमक्खियोंमच्छरों तथा अन्य हानिकारक कीड़ों-मकोड़ों को अपने से दूर रखता है। सफ़ाई बरतकर वह अपने चित्त की प्रसन्नता प्राप्त करता है। सफ़ाई उसे रोगों के कीटाणुओं से बचाकर रखती है। इसके माध्यम से वह अपने आसपड़ोस के पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखता है।
कुछ लोग अपने स्वभाव के विपरीत सफ़ाई को कम महत्व देते हैं। वे गंदे स्थानों में रहते हैं। उनके घर के निकट कूड़ाकचरा फैला रहता है। घर के निकट की नालियों में गंदा जल तथा अन्य वस्तुएँ सड़ती रहती हैं। निवास-स्थान पर चारों तरफ़ से आती है। वहाँ से होकर गुजरना भी दूभर होता है। वहाँ धरती पर ही नरक का दृश्य दिखाई देने लगता है। ऐसे स्थानों पर अन्य प्रकार की बुराइयों के भी दर्शन होते हैं। वहाँ के लोग संक्रामक बीमारियों से शीघ्र ग्रसित हो जाते हैं। गंदगी से थलजल और वायु की शुद्धता पर विपरीत असर पड़ता है।
स्वच्छता का संबंध खान-पान और वेश-भूषा से भी है। रसोई की वस्तुओं तथा खाने-पीने की वस्तुओं में स्वच्छता का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। बाज़ार से लाए गए अनाज, फल और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाना चाहिए। पीने के पानी को साफ़ बरतन में तथा ढककर रखना चाहिएकपड़ों की सफ़ाई का भी पूरा महत्त्व है। स्वच्छ कपड़े कीटाणु से रहित होते हैं जबकि गंदे कपड़े बीमारी और दुर्गध फैलाते हैं।
लोगों को शरीर की स्वच्छता का भी पूरा ध्यान रखना चाहिएप्रतिदिन स्नान करना अच्छी आदत है। स्नान करते समय शरीर को रगड़ना चाहिए ताकि रोमकूप खुले रहें। सप्ताह में दो दिन साबुन लगाकर नहाने से शरीर के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। सप्ताह में एक दिन नाखूनों को काट लेने से इनमें छिपी गंदगी नष्ट हो जाती है। भोजन में सब्जियों और फलों की भरपूर मात्रा लेने से शरीर की भीतरी सफ़ाई हो जाती है। दूसरी तरफ अधिक मैदे वाला बासी और बाज़ारू आहार लेने से शरीर की शुद्धि में बाधा आती है।
घर की सफाई में घर के सदस्यों की भूमिका होती है तो बाहर की सफ़ाई में समाज की। बहुत से लोग घर की गंदगी निकाल कर घर के सामने डाल देते हैं। इससे गंदगी पुन: घर में चली जाती है। घर के आसपास का पर्यावरण दूषित होता है तो घर के लोग भी अछूते नहीं रह पातेइसलिए समाज के सभी सदस्यों को आसपड़ोस की सफ़ाई में योगदान देना चाहिए। नदियों, तालाबों, झीलों, झरने के जल में किसी भी प्रकार की गंदगी का बहाव नहीं करना। चाहिएवायु में प्रदूषित तत्वों को मिलाने की प्रक्रिया पर लगाम लगानी चाहिए। अधिक मात्रा में पेड़ लगाकर वायु को शुद्ध रखना चाहिए।
आत्मिक उन्नति के लिए निवास स्थान के वातावरण का स्वच्छ होना अत्यावश्यक है। राष्ट्रपिता गाँधी जी स्वच्छता पर बहुत जोर देते थे। परंतु आधुनिक सभ्यता और हानिकारक उद्योगों के फैलाव के कारण पूरी दुनिया में प्रदूषण का संकट खड़ा हो गया है। अत: स्वच्छता में बाधक तत्वों को पहचान कर उनके प्रसार पर रोक लगानी चाहिए।
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