भ्रष्टाचार पर निबंध |Corruption Essay in Hindi |Corruption Nibandh

Corruption Essay in Hindi |Corruption Nibandh

भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट आचार अर्था बिगड़ा हुआ आचरण या कार्य । नीति, न्याय, सत्य तथा ईमानदारी आदि की उपेक्षा करके स्वार्थवश किए हुए सभी कार्य भ्रष्टाचार में गिने जाते हैं। भ्रष्टाचार के जन्मदाता हैं स्वार्थलिप्सा और भौतिक ऐश्वर्य। अधिक धन की प्राप्ति के उद्देश्य से लोग भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं।

आज लोग इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन निम्न प्रकार के कार्यों का सहारा ले रहे हैं, जैसे उच्चाधिकारियों का रिश्वत लेकर अनैतिक कार्य करना, करोड़ों रूपए की दलाली खाना, अयोग्य व्यक्तियों को ऊंचे पद प्रदान करना, व्यापारिक क्षेत्र में मिलावट करना, चोरबाजारी करना, निर्माण कार्यों में सीमेंट के स्थान पर रेत का प्रयोग करना आदि। यही कारण है कि आज देश में चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबमला है।

आज कोई भी विभाग चाहे वह सरकारी हो, अर्द्ध सरकारी हो या जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के संस्थान हों, सभी जगह भ्रष्टाचार आराम से लम्बे पांव फैलाए जा रहा है। इनके अनेकों उदाहरण हमारे सम्मुख हैं – भारतीय इंजीनियर बिना नींव खोदे ही कईकई मंजिले मकान खड़े कर देते हैं – वह भी बिना सीमेंट व कंक्रीट के मात्र रेत से ही।

बिना रिश्वत आपके घर के नल में पाली की गेंद नहीं टपक सकतीघर में रोशनी नहीं आ सकती । यहाँ तक कि सड़कें बनती नहींकुएँ खुदते नहीं, हैण्डपम्प लगते नहीं, कोई उपकरण या मशीनरी तक खरीदी नहीं जाती, पर लाखों -करोड़ों के बिल पास होकर भुगतान हो जाता

आज इस तेजी से फैलते हुए भ्रष्टाचार के मूल कारण हैं – लोगों की आजीविका के साधनों की कमी का होना, जनसंख्या में तीव्रगति से वृद्धि होते रहना भौतिकता एवं स्वार्थपरता की बढ़ोत्तरी होते रहनासरकार की ढीली नीति का होना, शिक्षा का अभाव होना, फैशन का बढ़ना, झूठी शान-शौकतमहँगाई का तेजी से बढ़ना व सामाजिक कुरीतियों का तेजी से फैलना। यदि हम वास्तव में भ्रष्टाचार के कोढ़ से बचना चाहते हैं तो हमें इन कारणों से स्वयं को बचाना होगा।

भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हमें कृतसंकल्प होना चाहिए। इसके लिए हमें सदाचार को अपनाना होगा। यही एक रामबाण औषधि है। हमें इसके उन्मूलन के बहुमुखी प्रयासों का श्रीगणेश करना होगा। अपने उच्च आदर्शों से जनजन को प्रभावित करना होगा। तभी हम अपने राष्ट्र को भ्रष्टाचार रूपी दानव के विकराल पंजों से मुक्ति दिला सकते हैं।

यदि हम भ्रष्टाचार रूपी दानव को कुचलने में सफल नहीं हो पाए तो परिणाम होगा कि हिंसक, असामाजिक व अराजक तत्व चारों ओर खुलेआम अपनी मनमानी करने लगेंगे तथा स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाएगी। अतः हमें इस पर समय रहते ही नियंत्रण करना होगा।

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