National flag Essay in Hindi |National flag Nibandh
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 1 (100 शब्द)
भारत हमारा देश है और इसका राष्ट्रीय ध्वज़ हमारे लिये बहुत मायने रखता है। यहाँ पर रह रहे विभिन्न धर्मों के लोगों के लिये हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ एकता के प्रतीक के रुप में है। हमें अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान करना चाहिये। ये बहुत जरुरी है कि सभी आजाद देशों के पास उनका अपना राष्ट्रीय ध्वज़ हो। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ तीन रंगों का है इसलिये इसे तिरंगा भी कहते हैं। तिरंगे के सबसे ऊपर की पट्टी में केसरिया रंग, बीच की पट्टी में सफेद रंग और सबसे नीचे की पट्टी में हरा रंग होता है। तिरंगे के बीच की सफेद पट्टी में एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है जिसमें एक समान दूरी पर 24 तीलियाँ होती है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 2 (150 शब्द)
राष्ट्रीय ध्वज़ एक स्वतंत्र राष्ट्र के एक नागरिक होने की हमारी अलग पहचान है। हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना अलग राष्ट्रीय ध्वज़ होता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ एकता और आजादी का प्रतीक है। सरकारी अधिकारियों के द्वारा सभी राष्ट्रीय अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज़ को फहराया जाता है हालाँकि भारतीय नागरिकों को भी कुछ अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज़ को फहराने की अनुमति है। गणतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता दिवस और कुछ दूसरे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सरकारी कार्यालयों, स्कूल और दूसरे शिक्षण संस्थानों में इसे फहराया जाता है।
22 जुलाई 1947 को पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को अंगीकृत किया गया था। हमारे राष्ट्रीय ध्वज़ को बहुत ही सुंदर तरीके से तीन रंगों में डिज़ाइन किया गया है, जिसे तिरंगा भी कहते हैं। ये खादी के कपड़े से हाथ से बना हुआ होता है। ख़ादी के अलावा तिरंगे को बनाने के लिये किसी दूसरे कपड़े का इस्तेमाल करने की सख्ती से मनाही है। तिरंगे के सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है, दूसरी पट्टी में सफेद रंग होता है इसमें एक नीले रंग का चक्र भी होता है जिसमें एक सामन दूरी पर 24 तीलियाँ होती हैं तथा अंतिम पट्टी में हरा रंग होता है। केसरिया रंग समर्पण और नि:स्वार्थ भाव का प्रतीक है, सफेद रंग शांति, सच्चाई और शुद्धता को प्रदर्शित करता है जबकि हरा रंग युवा और ऊर्जा को दिखाता है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 3 (200 शब्द)
22 जुलाई 1947 को भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज़ अंगीकृत किया और इसके कुछ ही दिन बाद 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत स्वतंत्र घोषित हुआ। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ में तीन रंग है इसलिये इसे तिरंगा भी कहते हैं। तिरंगे के सबसे ऊपर केसरिया रंग समर्पण और निस्वार्थ भाव को दिखाता है, सफेद रंग शांति, सच्चाई और शुद्धता को इंगित करता है और सबसे नीचे का हरा रंग युवा और ऊर्जा को प्रदर्शित करता है। बीच के सफेद पट्टी में एक नीले रंग का अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें एक बराबर 24 तीलियाँ होती हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ स्वतंत्रता, गर्व, एकता और सम्मान का प्रतीक है तथा अशोक चक्र ईमानदारी और न्याय की वास्तविक जीत को दिखाता है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ हमें एकता, शांति और इंसानियत की सीख देता है। सच्चाई और एकता में ये हमें भरोसा करने में मदद करता है। यह हर वर्ष 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा और 26 जनवरी को देश के राष्ट्रपति द्वारा इसे फहराया जाता है। हालाँकि, भारत के लोगों को संबंधित करने के द्वारा ये दोनों के द्वारा लाल किले पर फहराया जाता है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ ख़ादी के कपड़े से बना होता है, ये एक हाथ से बना हुआ कपड़ा है जिसकी पहल महात्मा गाँधी द्वारा की गयी थी। ख़ादी के अलावा किसी दूसरे कपड़े से बने तिरंगे को भारत में फहराने की बिल्कुल इज़ाजत नहीं है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 4 (250 शब्द)
हजारों लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के अथक प्रयास से लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी शासन से भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुयी। आजादी मिलने के कुछ दिनों पहले 22 जुलाई 1947 (संविधान सभा के सम्मेलन में) को भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ को एकता और विजय के प्रतीक रुप में अंगीकृत किया गया। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ तीन रंगों का है इसलिये इसे तिरंगा झंडा भी कहते हैं। हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ हमारे लिये हिम्मत और प्रेरणा के रुप में है। ये हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में हमें याद दिलाता है। ये हमें बताता है कि उनके लिये देश को आजाद कराना कितना कठिन कार्य था। आजादी पाना आसान नहीं था। हमें हमेशा अपने राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान करना चाहिये और अपनी मातृभूमि के लिये कभी भी इसे झुकने नहीं देना चाहिये।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन पट्टीयों के साथ क्षितिज के समांतर दिशा में डिज़ाइन किया गया है। बीच की सफेद पट्टी में एक नीले रंग का अशोक चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियाँ हैं। सभी तीन रंग, अशोक चक्र और 24 तीलियों के अपने मायने हैं। सबसे ऊपर का केसरिया रंग लगन और त्याग का प्रतीक है, सफेद पट्टी शांति और सौहार्द को इंगित करती है तथा सबसे नीचे की हरी पट्टी युवा और ऊर्जा को प्रदर्शित करती है। जबकि, अशोक चक्र (अर्थात् अशोक का पहिया) शांति और हिम्मत का प्रतीक है।
हमारा राष्ट्रीय ध्वज़ ख़ादी के कपड़े से बना हुआ है जो कि हाथ से बुना हुआ कपड़ा होता है इसकी शुरुआत महात्मा गाँधी के द्वारा हुयी थी। निर्माण की सभी प्रक्रिया और डिज़ाइन के विशेष विवरण को भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा देखा जाता है। हमारे देश में ख़ादी के अलावा किसी भी दूसरे कपड़े से तिरंगा बनाने की एकदम मनाही है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 5 (300 शब्द)
अपने तीन रंगों के कारण हमारे राष्ट्री ध्वज़ को तिरंगा झंडा भी कहते हैं। इसमें क्षितिज के समांतर दिशा में तीन रंग की पट्टियाँ होते है, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे की पट्टी में हरा रंग होता है। बीच की सफेद पट्टी में एक अशोक चक्र (धर्म चक्र भी कहा जाता है) होता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को पहली बार संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को अंगीकृत किया गया था। राष्ट्रीय ध्वज़ की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का है।
अनुचित प्रयोग की रोकथाम धारा 1950 और अपमान की रोकथाम के लिये राष्ट्रीय सम्मान की धारा 1971 के तहत ही इसके इस्तेमाल और प्रदर्शन को निर्धारित किया जाता है। भारतीय ध्वज़ के सम्मान और आदर के लिये सभी कानून, प्रथा और निर्देशों के नियमन करने के लिये वर्ष 2002 में भारत के ध्वज़ कोड की स्थापना की गयी थी। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के लिये वर्ष 1921 में महात्मा गाँधी के द्वारा पहली बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को प्रस्तावित किया गया था। पिंगली वैंकया के द्वारा पहली बार तिरंगे झंडे को डिज़ाइन किया गया था। ऐसा माना जाता है कि हिन्दू और मुस्लिम जैसे दोनों धर्मों के लिये सम्मान के लिये केसरिया और हरे रंग की पट्टी की घोषणा की गयी थी। बाद में सफेद पट्टी को बीच में दूसरे धर्मों के लिये आदर के प्रतीक के रुप में घूमते हुए पहियों के साथ जोड़ा गया था।
भारत की आजादी के पहले ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्ति के लिये भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले से कई सारे भारतीय झंडे को डिज़ाइन किया गया था। अंतत: राष्ट्रीय ध्वज़ के मौजूदा डिज़ाइन को आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया गया। पूर्व में इसे आम लोगों द्वारा प्रदर्शित करना मना था और किसी राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान इसे केवल सरकारी अधिकारियों द्वारा ही प्रदर्शित किया जा सकता था हालाँकि बाद में अपने परिसर के अंदर राष्ट्रीय ध्वज़ को आम लोगों द्वारा फहराने की अनुमति मिल गयी। हमारी मातृभूमि के लिये ये एकता और सम्मान का प्रतीक है। इसलिये हम सभी को हमेशा अपने राष्ट्रीय ध्वज़ का सम्मान करना चाहिये और इसे कभी भी झुकने नहीं देना चाहिये।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज़ पर निबंध 6 (400 शब्द)
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज़ को तिरंगा झंडा भी कहा जाता है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा के सम्मेलन के दौरान इसे पहली बार आधिकारिक रुप से अंगीकृत किया गया। अंग्रेजी हुकुमत से भारत की स्वतंत्रता के 24 दिन पहले ही इसे अंगीकृत किया गया। इसे पिंगाली वैंकया द्वारा डिज़ाइन किया गया था। एक बराबर अनुपात में, ऊर्द्धवाकार में केसरिया, सफेद और हरे रंग की पट्टी के साथ डिज़ाइन किया गया था। इसमें सबसे ऊपर की पट्टी में केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे की पट्टी में गाढ़ा हरा रंग है। हमारे तिरंगे झंडे की लंबाई और चौड़ाई 3:2 के अनुपात में है। तिरंगे के मध्य सफेद पट्टी में 24 तीलियों के साथ एक अशोक चक्र है। सारनाथ के अशोक स्तंभ से अशोक चक्र को लिया गया है (अशोक की लॉयन कैपिटल राजधानी)।
हम सभी के लिये हमारे राष्ट्रीय ध्वज़ का बहुत महत्व है। सभी रंगों की पट्टियाँ, पहिया और तिरंगे में इस्तेमाल होने वाले कपड़े का खास महत्व है। भारतीय ध्वज़ कोड इसके इस्तेमाल और फहराने के नियम को निर्धारित करता है। भारत की आजादी के 52 वर्ष के बाद भी इसे आम लोगों के द्वारा प्रदर्शन या फहराने की इज़ाज़त नहीं थी हालाँकि बाद में नियम को बदला गया (ध्वज़ कोड 26 जनवरी 2002 के अनुसार) और इसको घर, कार्यालय और फैक्टरी में कुछ खास अवसरों पर इस्तेमाल करने की छूट दी गयी। राष्ट्रीय ध्वज़ को राष्ट्रीय अवसरों पर फहराया जाता है जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि। भारतीय ध्वज़ को सम्मान और आदर करन के लिये तथा विद्यार्थियों को प्रेरणा देने के लिये इसे स्कूल और शिक्षण संस्थानों (कॉलेज, विश्वविद्यालय, खेल कैंप, स्कॉऊट कैंप आदि) में भी फहराया जाता है।
स्कूल और कॉलेज में झंडा रोहण के दौरान विद्यार्थी प्रतिज्ञा लेते हैं और राष्ट्र-गान गाते हैं। सरकारी और निजी संगठन भी किसी भी अवसर या कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज़ को फहरा सकते हैं। किसी भी सांप्रदायिक और निजी फायदे के लिये ऱाष्ट्रीय ध्वज़ को फहराने की सख्त मनाही है। किसी को भी ख़ादी के अलावा किसी दूसरे कपड़े से बने तिरंगे को फहराने की अनुमति नहीं है ऐसा करने पर जेल और अर्थदंड की व्यवस्था है। राष्ट्रीय ध्वज़ को किसी भी मौसम में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच में फहराया जा सकता है। इसे जमीन से स्पर्श कराने या पानी में डुबाने, तथा जानबूझकर अपमान करने की सख्त मनाही है। कार, बोट, ट्रेन या हवाई जहाज जैसे किसी भी सवारी के बगल, पिछले हिस्से, सबसे ऊपर या नीचे को ढकने के लिये इसका प्रयोग नहीं होना चाहिये।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के महत्व पर निबंध 7 (600 शब्द)
प्रस्तावना
भारत का राष्ट्रीय झंडा जो की तिरँगा के नाम से जाना जाता है और यह हमारे राष्ट्र के गौरव का प्रतिक है। यह भारतीय गणराज्य का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है। तिरंगा हमारे देश के एकता और अखंङता को दर्शाता को है इसी कारणवश देश के सभी नागरीक इसका सम्मान करते हैं।
तिरँगा देश के सभी सरकारी भवनों पे फहराया जाता है। गणतंत्र दिवस, स्वतन्त्रा दिवस और गांधी जंयती जैसे अवसरो पऱ तिरंगा फहराना एक सामान्य प्रथा है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का महत्व
हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हमारे देश के सांस्कृतिक विरासत, सभ्यता और इतिहास को दर्शाता है। हवा में लहराता हुआ तिरंगा हमारी आज़ादी का प्रतिक है। यह हम भारतीय नागरिको को उन स्वतंत्र सेनानियों की याद दिलाता है, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से लड़ते हुए देश के लिए बलिदान दिया।
इसके साथ ही यह हमे विनम्र रहने की भी प्रेरणा देता है तथा हमारे स्वतन्त्रा और आजादी के महत्व को दर्शाता है, जो हमे इतने अथक प्रयासों के बाद मिली है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहते हैं क्योंकि इसमें तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा समाहित हैं। इसमें से सबसे उपर केसरिया रंग तटस्थता को दर्शता है, जिसका अर्थ है कि हमारे देश के नेताओ को सभी भौतिकवादी चीजो से तटस्थ रहना चाहिये और राष्ट्र की सेवा उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिये। इसके बाद मध्य में आता है सफेद रंग जोकि सत्य और पवित्रता को दर्शता है, जिसका अर्थ है कि हमे सदैव सत्य के मार्ग पर चलना चाहिये।
तिरंगे के सबसे निचले हिस्से मे हरा रंग होता है जोकि हमारे देश की मिट्टी और प्राकृतिक धरोहर को दर्शाता है। इसके साथ ही तिरंगे के मध्य मे अशोक चक्र का चिन्ह अंकित है जोकि धर्म के नियम को प्रदर्शित करता है, यह दर्शाता है कि धर्म और सदाचार राष्ट्र सेवा के मुख्य गुण है। इसके साथ ही यह हमें जीवन मे चुनौतियो और कठिनाइयों के को पार करके निरन्तर आगे बढने की प्रेरणा देता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास बहुत ही रोचक है, सन् 1921 में भारतीय स्वाधीनता संर्घष के दौरान सर्वप्रथम महात्मा गाँधी के मन में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के लिये एक झंण्डे का विचार आया। इस झंण्डे के मध्य में चरखे का घूमता हुआ पहिया बना हुआ था। जोकि गाँधी जी के देशवासियों को चरखे द्वारा खादी कातकर उससे कपडे बनाकर स्वालम्बित बनने के लक्ष्य को दर्शाता था, समय के साथ इसमे कई परिवर्तन आये और भारत के आजादी के समय इसमे और कई बदलाव किये गये। जिसमें चरखे के पहियें को अशोक चक्र से परिवर्तित कर दिया गया, जोकि धर्म चक्र को प्रदर्शित करता करता है।
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के नियमानुपालन से जुडी महत्वपूर्ण बातें
भारतीय गणराज्य के प्रत्येक व्यक्ति से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के आदर और सम्मान करने की अपेक्षा रखी जाती है। इसी कारणवश राष्ट्रीय ध्वज के अनादर को रोकने को लिये कुछ नियम-कानून बनायें गये है। इन्ही में से कुछ नियम क्रमशः नीचे दिये गये हैं।
- लहराये जाने वाला तिरंगा सिर्फ खादी या हाँथ से बुने हुये कपडे से बनाया जा सकता है, अन्य किसी प्रकार के वस्तु से बनाया हुआ तिरंगा कानून के तहत दंडनीय है।
- समारोह के दौरान तिरंगा ध्वजवाहक द्वारा सिर्फ दाहिनें कन्धे पे धारण किया जा सकता है और ध्वजयात्रा सदैव समारोह के सामने से निकाली जानी चाहियें।
- तिरंगा हमेशा उंचा लहराया जाना चाहिये, यह कीसी वस्तु के सामने झुका नही होना चाहीये।
- अन्य कोई झण्डा तिरंगे से उपर या इसके बराबर नही लहराया जा सकता।
- जब भी तिरंगा फहराया जा रहा हो, तो वहा मौजूद लोगो को सावधान मुद्रा मे खड़े होकर तिरंगे का सम्मान करना आवश्यक है।
- मस्तूल की आँधी ऊँचाई पर फहराया हुआ तिरंगा शोक को प्रदर्शित करता है, यदि अपने सेवाकाल के दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु हो जाती है तो देश भर में तिरंगा आँधे मस्तूल तक ही फहराया जाता है।
निष्कर्ष
हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे गौरव का प्रतीक है, हमे हर कीमत पर इसके गरिमा की रक्षा करनी चाहिये। तिरंगा सदैव ऊँचा फहराया होना चाहिये क्योंकि ये हमारी उस आजादी का प्रतीक है, जो हमे इतने वर्षो के संर्घषो और बलिदानों के बाद मिली है।
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