फुटबॉल पर निबंध |Football Essay in Hindi |Football Nibandh

Football Essay in Hindi |Football Nibandh

फुटबॉल पर निबंध Essay on Football

हमारा फुटबाल मैच हीरालाल जैन सेकंडरी स्कूल के साथ हुआ। हमारी टीम के खिलाड़ी भी किसी से कम न थे। खेल के मैदान ने अपना नया स्वरूप धारण कर रखा था। रंग बिरंगी झंडियों द्वारा खेल का मैदान सजाया गया था। जगह-जगह चूने से लाइनें खिंची हुई थीं। दर्शकों की भीड़ पहले से ही मैदान को घेरे हुए थी। हमारे साथी भी हमें उत्साह दिलाने वहाँ पहले ही पहुँच गए थे। ‘टॉसहम लोगों के विरुद्ध पड़ा और हमें सूरज के सामने की ओर जाना पड़ा। साढ़े पाँच बजते ही सीटी बजी और फुटबाल बीच में रखी गई । हमारे सेंटर फारवर्ड ने फुटबाल को उछालकर किक’ मारी और खेल का आरंभ हो गया।

जैन स्कूल के खिलाड़ियों ने भरसक प्रयत्न कियापरंतु आधे समय (हाफ टाइम) तक कोई भी गोल न हो सकाफिर क्या था, ‘स्थान बदलने के बाद ज्यों ही खेल पुन: आरंभ हुआ कि धक्का-मुक्की होने लगी। दोनों ओर से खूब तालियाँ पीटी गई। रेफरी साहब ने कितने ही ‘फाउलदिएकिंतु धक्केबाजी बंद न हुई। क्रोध में आकर रेफरी ने जैन स्कूल के एक लड़के को निकाल (आउट) दिया। अब तो सब सुन्न (चुप) हो गए। समय समाप्त हो गया। और दोनों टीमें बराबर रहीं। पाँच मिनट और बढ़ाए गए। संयोगवश उनके एक खिलाड़ी से ‘पेनल्टी’ हो गई और हमारी किक’ होते ही गोल हो गया। हमारे आनंद का पारावार न रहा। हम लोगों ने दूसरे एक को प्रसन्नता से गले लगा लियानारे लगाए और परस्पर बैठकर नाश्ता किया।

फुटबॉल पर निबंध Essay on Football

मैच खेलकूद का एक अनिवार्य अंग हैं। मैच से प्रतिस्पर्द्ध की भावना एवं क्रीडा कौशल को बढ़ावा मिलता है। इसके अतिरिक्त खेलों में मैच होने से खिलाड़ियों को एक दूसरे से मिलने का मौका मिलता है जिससे खिलाड़ी न केवल खेलते हैं और अपने शारीरिक सामथ्र्य का प्रर्दशन करते हैं बल्कि विचारों का भी आदान-प्रदान करते हैं एवं आपस में मेलजोल को बढ़ावा मिलता है। हाल ही में मुझे एक फुटबाल मैच देखने का अवसर प्राप्त हुआ। यह मैच खालसा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कैवडियन एवं डी. . वी. उच्च माध्यमिक विद्यालयदिल्ली के मध्य था। यह मैच एस एन कॉलेज के खेल के मैदान में खेला गया। पूरा मैदान साफ सुथरा एवं सजा हुआ था।

किनारों पर कुर्सियाँ लगी थी एवं शेष मैदान दर्शकों के लिये खुला था। दोनों टीम पूरे जोश में थी। उन्होंने बहुत चुस्त और साफ वस्त्र पहन रखे थे। दोनों ही बराबर की मजबूत लग रही थीं। दर्शकों को एक बढ़िया और संघर्ष पूर्ण मैच की उम्मीद थी। मैदान एवं इसके निकट स्थल दर्शकों से खचाखच भरे हुये थे। मैच ठीक पाँच बजे प्रारम्भ हुआ। डी. ए. वी. की टीम ने टॉस जीता एवं अपनी मनपसन्द जगह चुन ली। शीघ्र ही रेफरी ने सीटी बजायी एवं मैच प्रारम्भ हुआ। दोनों गोल करना चाहते थे।

पहले कुछ मिनटों में डी. ए. वी. की टीम ने बेहतर खेला। उन्होंने अपनी प्रतियोगी टीम की प्रतिरक्षा को बेच दिया किन्तु कोई गोल नहीं कर पाये उनके शानदार प्रदर्शन ने खालसा विद्यालय की टीम को पशोपश में डाल दिया। जिससे अपरिपक्व खेल प्रारम्भ हुआ जैसे बतरतीब गेंदों को प्रतिक्षेप करना। किन्तु कप्तान ने हिम्मत नहीं हारी व

अपनी टीम का हौसला बढ़ाया। टीम में नवीन जान पड़ गयी। खालसा टीम ने अपनी खोयी स्थिति पुन: प्राप्त कर ली एवं एकदम उन्होंने एक गोल कर दिया। गोल होते ही मैदान तालियों की आवाज़ से गूंज उठा। उनके समर्थकों ने पूरी टीम की वाहवाही करी। उसी बीच डी. ए. वी. का राइट हॉफ घायल हो गया। एवं कप्तान को पूरे खेल के बीच दोहरी जिम्मेवारी निभानी पड़ी।

शीघ्र ही रेफरी ने एक लम्बी सीटी बजा कर खेल के पहले आधे हिस्सा के समाप्ति की घोषणा की। तब खिलाड़ियों ने विश्राम किया एवं हल्का-फुल्का नाश्ता लिया। खेल के मैदान में बहुत शोर था क्योंकि दोनों टीम के समर्थक अपनी-अपनी टीम का हौसला बढ़ाने उनके पास पहुँच गये। पुनरेफरी ने सीटी बजाई एवं मैच प्रारम्भ हुआ अब डी. ए. वी. टीम के खिलाड़ियों ने कमर कस ली और सावधानी से खेलने लगे। डी. ए. वी. टीम का गोल रक्षक भी चौकन्ना हो गया।

पहले कुछ क्षणों में खालसा टीम ने डी. ए. वी टीम पर दबाव बनाये रखा उनके लेफ्ट हॉफ ने एक के बाद एक तीन बार डी. ए. वी. के गोल पर हिट किया किन्तु डी. . वी. के गोल रक्षक ने आश्चर्यजनक तेजी से गेंद को बाहर फेंक बचाव किया। इस बीच डी. एवी. टीम ने अपनी प्रतियोगी टीम की ओर गेंद बढ़ाई उनके लेफ्ट हॉफ ने राइट हॉफ को पास दिया एवं राइट हॉफ ने बॉल को पलक झपकते ही सीधा गोल में भेज दिया। और इस तरह गोल हो गया। अब खेल बराबर हो गया। इससे डी. ए. वी. टीम को विशेष प्रसन्नता हुई और उनमें नये उत्साह का संचार हुआ। उनके सर्मथकों ने जोरों-शोरों से उनका उत्साह वर्धन किया और उनकी प्रशंसा में तालियाँ बजाईं। खेल अब नाजुक स्थिति से गुजर रहा था प्रत्येक पक्ष अपनी ओर से गोल करने का पूरा प्रयत्न कर रहा था।

शीघ्र ही समय समाप्त हो गया। खालसा टीम द्वारा डी. ए. वी. टीम पर गोल करने से उतेजक समापन समक्रमिक हो गया। यह आश्चर्यजनक रूप से एक साहसिक कार्य था जिससे सनसनी फैल गयी। विजेता टीम को अपने समर्थकों से असीम रोमांचक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। जबकि अन्य दर्शकों ने दोनों टीमें की खेल भावना एवं खेल प्रदर्शन की पूरीपूरी प्रशंसा की। सचमुच यह एक रोमांचक मैच था जिसका दर्शकों ने पूरा मज़ा लूटा।

फुटबॉल पर निबंध Essay on Football

फुटबॉल एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का खेल है। जब विश्व के किसी भी कोने में इनका मैच चल रहा होता है तो सारी दुनिया के खेलप्रेमियों के सिरों पर एक तरह का भूत या पागलपनसा सवार हो जाया करता है। घरबाहरदफ्तर-दुकानबस में हो या बाजार में, सिवाए इनकी चर्चा के और कहीं कुछ भी सुनाई नहीं देता। इसी प्रकार फुटबॉल का एक मैच पिछले रविवार को हमारे विद्यालय तथा डी.सी.एम सीनियर सैकेण्डरी विद्यालय के बीच होना तय हुआ। हमारे प्रधानाचार्य महोदय ने प्रत्येक विद्यार्थी को इसकी सूचना पहले दिन ही दे दी थी कि रविवार को सभी ठीक तीन बजे क्रीड़ास्थल पर एकत्रित हो जाएँ। रविवार को ठीक .30 बजे दोनों टीमें खेल के मैदान में पहुँच गई। दोनों विद्यालयों की टीमें अच्छी थीं, इसलिए खेल में आनन्द आना स्वाभाविक ही था। देखतेहीदेखते क्रीड़ास्थल दर्शकों से खचाखच भर गया था। दोनों टीमों के कप्तान रैफरी महोदय की सीटी बजने पर उनके पास पहुँचेटॉस किया जिसमें डीसीएमस्कूल विजयी रहा। गणमान्य व्यक्ति वहीं कुर्सियों पर विराजमान थे। खेल ठीक चार बजे प्रारम्भ हो गया। खेल को प्रारम्भ करने की सूचना देने हेतु निर्णायक ने सीटी बजाई। देखते हीदेखते खेल पूरे जोरों पर खेला जाने लगा। खेल में युक्ति और शक्ति का शानदार प्रदर्शन चल रहा था। डी.सीएम, विद्यालय की टीम ने हमारे विद्यालय की टीम को दबाना प्रारम्भ कर दिया। फुटबॉल हमारे गोलरक्षक से बचकर गोल को पार कर गई। विपक्षियों के हर्ष का कोई ठिकाना नहीं था। हमारे विद्यालय की टीम वाले खिलाड़ी थोड़े उदास अवश्य हुए परन्तु हतोत्साहित नहीं हुए। वे अपनी हार का बदला लेने अर्थात् गोल उतारने में जुट गए। तभी खेल का मध्यान्तर हो गया।

मध्यान्तर समाप्त होते ही निर्णायक’ ने सीटी बजाई। खेल पुनः प्रारम्भ हो गया। दोनों टीमें पूरे जोश में थीं। इसलिए थोड़ी देर तक तो फुटबाल इधर उधर घूमती रही। अचानक ही हमारी टीम ने वह गोल उतार दिया। दर्शकों की तालियों से मैदान गूंज उठा। हमारी भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ज्योंही खेल समाप्त होने में पाँच मिनट शेष थे हमारी टीम ने विपक्ष पर एक गोल और कर दिया इसके साथ ही हमारी टीम मैच जीत गई खेल समाप्त होते ही खिलाड़ियों को फल वितरित किए गए। जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को पुरस्कार भी वितरित किए गए। फिर सभी अपनेअपने घरों को चले गए।

फुटबॉल पर निबंध Essay on Football

उस दिन मेरे विद्यालय की फुटबॉल टीम का मैच सेंट ल्यूपेन स्कूल की टीम के साथ था। हमारे विद्यालय के विशाल मैदान में आगन्त्क दर्शकों की अपार भीड़ उमड़ती चली आ रही थीजिस प्रकार सूखे रेत पर गिरने वाली असंख्य वर्षाबिन्दुओं का पता नही चलता उसी प्रकार विशाल मैदान में आगन्तुकों की भीड़ का पता नही चल रहा था। मैंने भीड़ को चीरते हुए मैदान में प्रवेश किया और किसी तरह अग्रिम पंक्ति में अपनी जगह बनाई।

सामने फैले विशाल आयताकार मैदान पर हरे घास की मखमली कालीन बिछी थी। मखमली कालीन के चारों ओर सफेद और मोटी रेखा खिंची हुई थी। गोल पोस्ट के उजले खंभे और उनपर फैले हुये जाल खेल के आरंभ की प्रतीक्षा में बड़े ही विकल दिखाई दे रहे थे। मैदान के चारों कोनों पर लाल झंडियाँ लगी हुई थी जो हौले हौले हवा के बहाव में झूमझूम कर खेल का आनन्द लेते हुए झूमने की प्रेरणा दे रही थी । थोड़ी देर बाद दोनों टीमों के खिलाड़ी मैदान के बीचों बीच उपस्थित हुए। हमारे विद्यालय के खिलाड़ियों की जर्सी लाल थी और सेंट ल्यूपेन के खिलाड़ियों की जर्सी नीली । फिर रेफरी ने टॉस के लिए सिक्का उछाला। टॉस के अनुसार मेरे विद्यालय ने रीवर छोड़ से और ल्यूपेन के खिलाड़ियों ने हाईकोट छोड़ से आक्रमण संभाला। खेल आरंभ होते ही कोलाहल करती हुई भीड़ नीरव हो गई। इधर खेल ने जोर पकड़ा। ल्यूपेन के स्टॉपर ने शॉट देकर लेफ्ट हाफ को पास दिया। जिसने झंडे के पास जाकर गेंद को गोलपोस्ट की ओर उछाल दिया । सेंटर फॉरवर्ड ने हवा में डाईभ लगाते हुए बड़े ही नाटकीय अदांज से हेड किया जिसे हमारे विद्यालय का गोलकीपर बचाने में असमर्थ सिद्ध हुआ और गेंद गोलपोस्ट के भीतर आकर जाल से जा टकराई।

विरोधी टीम में खुशी की लहर दौड़ गई गोल के साथ-साथ सब एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होकर गले मिलने लगे। फिर रेफरी की सीटी के साथ खेल दुबारा आंरभ हुआ। दस मिनट के भीतर ल्यूपेन के खिलाड़ियों ने गोल करने के कई मौके गंवाए। फिर मेरे विद्यालय ने आक्रमण करना आंरभ किया किन्तु ४५ मिनट तक कोई गोल नही हो पाया। दूसरे हाफ में दोनों टीमों ने अपना छोड़ बदला। मेरे विद्यालय ने आक्रमण की डोर संभाली । ल्यूपेन के खिलाड़ियों ने गोल बचाने के चक्कर में हाथ से गेंद रोक दिया। रेफरी ने पिनाल्टी शॉट के लिए सीटी बजाई। हमारे टीम के सेंटर फॉरवर्ड ने विरोधी विद्यालय के सुरक्षा कवच को भेदते हुए सीधे शॉट गोल पोस्ट में दाग दिया। दोनो टीमें १ 1१ की बराबरी पर थी। हमारे विद्यालय के खिलाड़ी चुनौतियों की चोट खाकर दिलेरी और उत्साह के साथ खेल में जुटे हुए थे। खेल अब अपनी जवानी पर था। दोनों ही छोर के खिलाड़ियों के लिए जैसे जीवन मरण का प्रश्न बन गया हो। खिलाड़ी जीतने की नई नई तरकीबें ढूंढने के चक्कर में गेंद को आगे पीछे कर रहे थे। दर्शक भी उत्साहित नजर आ रहे थे। गोलपोस्ट की तरफ बढ़ते हुए खिलाड़ी का उत्साह बढ़ाने के लिए ताली पीटते और गोलपोस्ट तक न पहुंचने पर अफसोस जाहिर करते।

खेल समाप्ति में केवल पांच मिनट बाकी रह गया था। दोनों टीमें बराबरी पर थी । तभी हमारी टीम के राइट हाफ ने राइट आउट को पास दिया। राइट आउट ने सेंटर फॉरवर्ड को पास देना चाहा पर गेंद को हरबड़ाहट में वह खेल नही पाया। फिर ल्यूपेन के स्टॉपर ने गेंद रोक लिया। खेल फिर शुरु हुआ। हमारे सेंटर फॉरवर्ड ने ल्यूपेन के सेंटर फॉरवर्ड से जूझते हुए गेंद अपने कबजे में किया। गेंद को बचाते हुए वह ल्यूपेन की गोलपोस्ट की ओर बढ़ता जा रहा था। उसको घेरने के लिए ल्यूपेन के खिलाड़ी उसकी ओर दौड़े। किन्तु उसने गेंद को उछाल कर जोरदार शॉट लगाया। ल्यूपेन के गोलकीपर ने गोल को रोकने की भरपूर कोशिश की किन्तु गेंद उसकी अंगुलियों को छूते हुए गोलपोस्ट से जा टकराई। ल्यूपेन स्कूल के खिलाड़ियों में मायूसी फैल गयी। आंरभ से ही अच्छा खेल खेलते हुए भी पराजय खानी पड़ी। मैं विद्यालय के खिलाड़ियों की प्रतिभा का कायल हो गया। डेढ़ घंटा होते ही रेफरी ने खेल समाप्ति की घोषणा कर दी। यही खेल है। कब कौन हारेगा कब कौन जीतेगा, किसी को नही मालूम। हमारा कर्तव्य है जिदंगी को भी खेल की तरह खेलते जाना। हार या जीत तो खेलने पर ही मिलता है।

फुटबॉल पर निबंध Essay on Football

जिस प्रकार मानव मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए शिक्षा परम आवश्यक है, उसी प्रकार खेल मानव शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इसलिए मानव जीवन में खेलों का विशिष्ट स्थान है। वैसे तो सभी खेल महत्त्वपूर्ण हैं, परंतु फुटबॉल मुझे सबसे प्रिय है। फुटबॉल का खेल स्फूर्तिदायक और शरीर को पुष्ट करने वाला है। इस खेल को खेलने के लिए पर्याप्त स्थान चाहिएइस खेल से दौड़ का पूर्ण आनंद प्राप्त होता है।

इस खेल के लिए क्रीड़ास्थल कमसेकम 100 गज लंबा और 50 गज चौड़ा होना चाहिएप्राय: अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल के मैचों में क्रीड़ास्थल की लंबाई 120 गज और चौड़ाई 90 गज होती है। इस क्रीड़ास्थल में कई प्रकार की रेखाएँ खींची जाती हैं। जैसे-गोल परिधि तथा छूने की रेखा, फाउल पैनल्टी और कार्नर के क्षेत्र भी रेखाओं द्वारा निर्दिष्ट किए जाते हैं। क्रीड़ास्थल के दोनों ओर पोल लगाए जाते हैं जिनकी परस्पर दूरी 8 गज होती है। क्रीड़ास्थल के इधर-उधर कुछ रंगीन झण्डियाँ भी लगा दी जाती हैं जो फुटबॉल के खेल को नियमबद्ध चलाने में मदद करती हैंपूर्ण क्रीड़ा-स्थली एक रेखा के द्वारा बराबर-बराबर विभाजित होती है। ये केन्द्र स्थल कहलाता है। दिल्ली गेट, नई दिल्ली का फुटबॉल का मैदान बहुत बड़ा है। यहाँ पर प्रतिवर्ष फुटबॉल टूर्नामेंट होते हैं। एक बार मुझे भी फुटबॉल मैच देखने का अवसर प्राप्त हुआ।

यह मैच दिल्ली पब्लिक स्कूल और मॉडर्न स्कूल के बीच हो रहा था। टॉस के बाद खिलाडियों ने -अपना स्थान संभाल लियादर्शनों का अपना। उत्साह तो देखते ही बनता था। फिर निरीक्षक महोदय की दूसरी सीटी पर खेल आरंभ हो गयादोनों टीम के खिलाड़ी खेलने लगे। मॉडर्न स्कूल का गोल कीपर बहुत ही सावधानी से चौकन्ना होकर गोल की रक्षा कर रहा था। अभी तक किसी भी टीम को गोल करने का अवसर नहीं मिला और अचानक फुटबॉल रेखा से बाहर चली गई तो रेफरी ने सीटी बजा दी। फुटबॉल को फिर मैदान में लाया गया और खेल पुन: आरंभ हुआ। अभी तक कोई गोल नहीं हुआ था कि फिर रेफरी की सीटी बज गई और मध्यावकाश हो गया। रेफरी की सीटी के साथ ही फिर खेल शुरू हुआ।

इस बार पब्लिक स्कूल की टीम ने गोल कर दिया। मॉडर्न स्कूल के खिलाड़ियों ने अंत तक गोल उतारने की बहुत कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। फिर रेफरी की सीटी बजते ही खेल समाप्त हो गयातत्पश्चात् पुरस्कार वितरण का आयोजन हुआ। पुरस्कार दोनों टीमों को मिलेविजेता टीम को शाबाशी दी गई। मैच आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रो को संगठित करना और उनमें धैर्य, सजगता तथा सहनशक्ति का संचार करना है। खिलाड़ी छात्र विद्यालय और देश का नाम ऊंचा करते हैं तथा सदैव स्वस्थ एवं प्रसन्न रहते हैं।

फुटबॉल अन्य खेलों की अपेक्षा बहुत ही आसान और सस्ता खेल है। यह खेल दो दलों के बीच खेला जाता है। दोनों दलों के खिलाड़ियों की संख्या ११-११ होती है। इनमें गोल रक्षक भी शामिल रहता है। इस खेल के मैदान की लंबाई कम-सेकम १०० गज और अधिक-से-अधिक १३० गज होती है। इसकी चौड़ाई कम-सेकम ५० गज तथा अधिक-से-अधिक १०० गज होती है। अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों के दौरान इसकी लंबाई १२० से अधिक और ११० गज से कम होती है वहीं चौड़ाई ८० गज से अधिक, किंतु ७० गज से कम नहीं होती। इसमें भी दो कप्तान तथा दो निर्णायक होते हैं। गेंद की परिधि २७ इंच तक की होती है।’डी’ (अर्द्धचंद्राकर) गोल से ६ गज की दूरी तक मैदान की ओर होता है। खेल के शुरू होने पर फुटबॉल का वजन कमसेकम १४ औस तथा अधिक-से-अधिक १६ औस होता है।

प्रत्येक खेल की शुरुआत किसी-नकिसी देश में अवश्य हुई है। फुटबॉल की शुरुआत करनेवाले देश का नाम है रूस। फुटबॉल रूस का राष्ट्रीय खेल है। देशविदेश में फुटबॉल खेल की प्रतियोगिताएँ होती हैं। एशियाईराष्ट्रमंडल तथा ओलंपिक खेलों में फुटबॉल प्रतियोगिता रखी गई है। यह तरह-तरह के नामों से जाना जाता है।

जिस तरह से अन्य खेलों में खिलाड़ियों के लिए यूनीफॉर्म की व्यवस्था की गई उसी तरह से फुटबॉल के खिलाड़ियों की यूनीफॉर्म होती है। जर्सी या कमीजछोटी नेकरलंबी जुराबें और बूट ।इस खेल में ४५-४५ मिनट के दो राउंड होते हैं। गोल रक्षकों का पहनावा खिलाड़ियों के पहनावे से अलग होता है, ताकि उसे आसानी से पहचाना जा सके।

खेल आरंभ के लिए मैदान के भाग और प्रथम किक (ठोकर) का निर्णय सिक्का (टॉस) उछालकर किया जाता हैकिसी को धक्का देनापैर अटकाना या दूसरे दल के खिलाड़ी पर उछलना गलत खेल माना जाता है। रेखा पर खड़े दो व्यक्ति देखते हैं कि गेंद कब बाहर जाती है। उन्हें ‘लाइनमैन’ कहा जाता है। जब गेंद गोल रेखा से पार चली जाए। या रेखा पर रुक जाए अथवा निर्णायक सीटी बजा दे तो खेल बंद समझा जाता है। स्कूप पेनल्टीकिक, थ्रोइन ऑफ साइडटच डाउनस्ट्रापरड्रॉपकिक ये फुटबॉल खेल की शब्दावलियाँ हैं। इन्हें फुटबॉल खेल का जानकार ही समझ सकता है। फुटबॉल के कुछ प्रसिद्ध खिलाड़ियों के नाम हैं-वाइचिंग भूटियापी.के. बनर्जी, चुन्नी गोस्वामी, अरुण घोषमेवालालमनजीत सिंह, चंदन सिंहइंदर सिंहजरनैल सिंह, श्याम थापा, प्रशांत बैनर्जी, शाबिर अलीपेले आदि।

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