Importance of Trees Essay in Hindi |Importance of Trees Nibandh
पेड़ों के महत्व पर निबन्ध – 1
धर्मशास्त्रों में वृक्षारोपण को पुण्यदायी कार्य बताया गया है। इसका कारण यह है कि वृक्ष धरती पर जीवन के लिए बहुत आवश्यक हैं। भारतवर्ष में आदि काल से लोग तुलसी, पीपलकेलाबरगद आदि पेड़-पौधों को पूजते आए हैं। आज विज्ञान सिद्ध कर चुका है कि ये पेड़-पौधे हमारे लिए कितने महत्त्वपूर्ण हैं।
वृक्ष पृथ्वी को हराभरा बनाकर रखते हैं। पृथ्वी की हरीतिमा ही इसके आकर्षण का प्रमुख कारण है। जिन स्थानों में पेड़-पौधे पर्याप्त संख्या में होते हैं, वहाँ निवास करना आनंददायी प्रतीत होता है।
पेड़ छाया देते हैं। वे पशु-पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। पेड़ों पर बंदरलंगूरगिलहरीसर्प, पक्षी आदि कितने ही जंतु बड़े आराम से रहते हैं। ये यात्रियों को सुखद छाया उपलब्ध कराते हैं। इनकी ठंडी छाया में मनुष्य एवं पशु विश्राम कर आनंदित होते हैं। वृक्ष हमें क्या नहीं देते। फलफूलगोंद, रबड़पत्ते, लकड़ीजड़ीबूटी, झाड़, पंखाचटाई आदि विभिन्न प्रकार की जीवनोपयोगी वस्तुएँ पेड़ों की सौगात होती हैं। ऋषि-मुनि वनों में रहकर अपने जीवन-यापन की सभी आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त कर लेते थे।
जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ी लोग पेड़ों को काटकर उनकी लकड़ी से घर के फर्नीचर बनाने लगेउद्योगों का विकास हुआ तो कागज, दियासलाई, रेल के डिब्बे आदि बनाने के लिए लोगों ने जंगल के जंगल साफ़ कर दिए। इससे जीवनोपयोगी वस्तुओं का अकाल पड़ने लगा। साथ ही साथ पृथ्वी की हरीतिमा भी घटने लगी। वृक्षों की संख्या घटने के दुष्प्रभावों का वैज्ञानिकों ने बहुत अध्ययन किया है।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि वृक्षों के घटने से वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ी है। वृक्ष वायु के प्राकृतिक शोधक होते हैं। ये वायु से हानिकारक कार्बन डायऑक्साइड का शोषण कर लाभदायक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन ही जीवन है और जीवधारी उसे लेकर ही जीवित रहते हैं। अत: धरती पर वृक्षों की पर्याप्त संख्या का होना बहुत आवश्यक होता है। वृक्ष व कराते हैं। ये जहाँ समूहों में होते हैं वहाँ बादलों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं। वृक्ष मिट्टी को मजबूती से पकड़े रखते हैं और इसका क्षरण रोकते हैं।
ये बाढ़ और अकाल दोनों ही परिस्थितियों को रोकने में सहणक होते हैं। ये मरुभूमि के विस्तार को कम करते हैं। ये वायुमंडल के ताप को अधिक बढ़ने से रोकने में बहुत मदद करते हैं। जहाँ अधिक पेड़-पौधे होते हैं वहाँ गर्मियों में शीतल हवा चलती है। इसीलिए समझदार लोग अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की बात करते हैं। संतुलित पर्यावरण के लिए किसी बड़े क्षेत्र के एकतिहाई हिस्से पर वनों का होना आवश्यक माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में वन इस अनुपात में नहीं रह गए हैं।
इसके हानिकारक परिणाम सर्वत्र दृष्टिगोचर हो रहे हैं। अत: वर्तमान समय की आवश्यकता है कि हर कोई वृक्षारोपण करेएक पेड़ काटा जाए तो तीन पेड़ लगाए जाएँ। मास का एक दिन वृक्षारोपण के लिए समर्पित हो। इस कार्य में विद्यार्थियों को सहभागी बनाया जाए। अनुर्वर भूमि परसड़कों के किनारे, पहाड़ी स्थलों पर, रिहायशी इलाकों में और जहाँ थोड़ा भी रिक्त स्थान हो, पेड़ लगा दिए जाएँ पेड़ बचेंगे तो जीव-समुदाय बचेगा। पेड़ रहेंगे तो लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति होगी और उद्योगों को कच्चा माल मिलता रहेगा। हमारी आगामी पीढ़ी को पेड़ों के अभाव में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पेड़ और वन होंगे तो वन्य-जीवन को आश्रय मिलता रहेगा। दुर्लभ वन्य प्राणियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा इसलिए सब लोगों को पेड़ लगाने का संकल्प लेना चाहिए। लोगों को वन महोत्सव और वृक्षारोपण के अभियान में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए सरकार उन तत्वों से सख्ती से निबटे जो वृक्षों और वनों की अंधाधुंध कटाई में संलिप्त हैं। न ही ली।
पेड़ों के महत्व पर निबन्ध – 2
वनों के संरक्षण के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि लोग वनों की उपयोगिता को गंभीरता से समझें। जब हम वन का नाम लेते हैं तब हमारी आँखों के सामने तरह-तरह के हरे-भरे चित्र उभरने लगते हैं। इनमें झाड़ियाँघासलताएँ, वृक्ष आदि विशेष रूप से शामिल होते हैं । वे एक-दूसरे के सहारे जीते हैं और फैलतेफूलते हैं। मात्र यह सोचना कि वन केवल लकड़ी की खानें हैं, गलत है। वन केवल लकड़ी की खानें नहीं हैं, हानिकारक गैस ‘कार्बन डाइऑक्साइडकी बढ़ती हुई मात्रा को कम करने में वन बड़े सहायक होते हैं।
वन प्राणरक्षक वायु ‘ ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करते , इसलिए वनों का संरक्षण जरूरी है। सच तो यह है कि कल तक जहाँ वन , आज वहाँ कुछ भी नहीं है। वनों को जंगल की आगजानवरों एवं लकड़ी के तस्करों से बचाना होगा।
इससे वनों की कई किस्में अपने आप उग आएँगी। वनों का विस्तार करने में पक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पक्षियों को अपनी ओर खींचनेवाले पेड़ों के आसपास उनके द्वारा लाए हुए बीजों के कारण कई प्रकार के पेड़पौधे उग आते हैं। यद्यपि पेड़ों को पानी की जरूरत कमसेकम होती है, तथापि नए लगाए गए पौधों के लिए कुछ समय तक जल की व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है। यह व्यवस्था पोखरतालाब और पहाड़ी ढालों पर कतार में गड्ढे बनाकर हो सकती है। इसे वृक्षारोपण कार्यक्रम का एक जरूरी हिस्सा समझना चाहिए।
वनों की विविधता को बनाए रखने के लिए भाँति-भाँति के पेड़पौधे झाड़ियाँ और लताएँ पुन: रोपनी चाहिए। आज जिस तरह से वनों की कटाई की जा रही है, वह चिंता का विषय है। वनों से पर्यावरण स्वच्छ बना रहता है। भारत को सन् १९४७ में स्वतंत्रता मिली। उसके बाद सन् १९५२ में सरकार ने वनों की रक्षा के लिए एक नीति बनाई थी। उस नीति को राष्ट्रीय वन-नीति’ का नाम दिया गया। इस नीति में व्यवस्थाएँ तैयार की गईं। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के ३३ प्रतिशत भाग पर वनों का होना आवश्यक माना गया। इसके अंतर्गत पहाड़ी क्षेत्रों में ६० प्रतिशत भूमि पर वनों को बचाए रखने का निश्चय किया गया तथा मैदानी क्षेत्रों में २० प्रतिशत भूमि पर।
आज स्थिति यह है कि २२.६३ प्रतिशत भूभाग पर ही वन हैं। कई राज्यों में तो वनों की स्थिति बहुत खराब है। हाँ, कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में ही वनों का अच्छा-खासा फैलाव है, जैसे हिमाचल प्रदेश, सिक्किमअसमअरुणाचल प्रदेश, मेघालय-त्रिपुरा आदि। वनविभाग के अनुसार, वर्ष १९५१ से १९७२ के बीच ३४ लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वन काट डाले गए। इससे पता चलता है कि प्रत्येक वर्ष १.५ लाख हेक्टेयर वनों की कटाई हुई।
वनों की कटाई के कारण जाने-अनजाने कई तरह के नुकसान होते हैं। वनों के सफाए से भारी मात्रा में मिट्टी का कटाव हो रहा है। भारत में लगभग १५ करोड़ हेक्टेयर भूमि कटाव के कारण नष्ट हो रही है। बुरी तरह से मिट्टी के कटाव के कारण नदियों की तली, तालाब तथा बाँधों के जलाशयों की हालत खराब हो रही है। यही कारण है कि हर साल बाढ़ से धन-जन की भारी बरबादी होती है। पेड़ों की कटाई के कारण राजस्थानगुजरात तथा हरियाणा में रेगिस्तान का विस्तार हो रहा है।
पश्चिमी राजस्थान का .३५ प्रतिशत हिस्सा रेगिस्तानी बन चुका है। इन क्षेत्रों में वनकटाई के कारण भूमिगत जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है। इस कारण अब न सिर्फ सिंचाई बल्कि पीने के पानी का भी संकट पैदा हो गया है। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन होता है और चट्टानों के खिसकने से उपजाऊ मृदा बहकर दूर चली जाती है।
पेड़ों के महत्व पर निबन्ध – 3
पर्यावरण को जीवन्त बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक विकास की होड़ में जिस प्रकार जंगलों का विनाश किया गया है और किया जा रहा है, उससे समस्त धरा असुरक्षित हो गई है। अतः धरती पर जीवन को सुरक्षित बनाने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। हमारे यहां प्राचीन काल से ही वनों की सुरक्षा और वृक्षारोपण को धार्मिक भावनाओं से जोड़ दिया गया ।
वट-सावित्री पूजनएकादशी को आंवले के नीचे भोजन करना, पीपल की पूजा आदि प्राचीन विधियां वनों को सुरक्षित रखने और वृक्षारोपण को प्रश्रय देने के लिए की गई थी। वृक्षारोपण से वन-सम्पदा में वृद्धि होती हैं। इससे अनेक लाभ है जलावन, घर के किवाड़, खिड़की, धरन और अन्य उपयोगी सामान इसी से प्राप्त होते हैं।
अनेक वृक्षों के छाल और पत्ते उद्योग धन्धों को चलाने के काम आते हैं। बबूल की छालहरे-बहेरा और आंवला चमड़ा बनाने के काम में भी आता है। रबर, रेशम आदि वृक्ष से ही प्राप्त होते हैं। भारतवर्ष के अधिकांश हिस्सों में आज भी जलावन के लिए लकड़ी का ही व्यवहार किया जाता है। वृक्षारोपण न केवल हमारे गाईंस्थ्य जीवन का आधार है, बल्कि यह वायु मंडल को नियंत्रित करने में भी सहायक है। वृक्ष ऑक्सीजन का सर्वप्रमुख माध्यम है। यह हमें ऑक्सीजन प्रदान कर वायुमंडल में कार्बनडाई -ऑक्साइड की मात्रा को नियंत्रित करता है।
साथ ही यह हमें छाया प्रदान करने के साथसाथ पशु-पक्षियों को खाद्य और आश्रय प्रदान करता है। जंगलों के विनाश से बाढ़ का प्रकोप बढ़ा है । इसे वृक्षारोपण द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। वृक्ष (जंगल) मिट्टी का क्षरण रोककर बाढ़ की विनाशलीला से हमारी रक्षा करता है । कहा जाता है कि रोम और बेवालीन के पतन के कारणों में जंगलों का विनाश भी था। जंगल के अभाव में बड़े-बड़े उपजाऊ प्रदेश रेगिस्तान में बदल गये।
वृक्षारोपण से मिट्टी में जलधारण की क्षमता बढ़ती है जिससे अनेक लाभ हैं। साथ ही यह मिट्टी में जैविक पदार्थों की वृद्धि कर मिट्टी की कार्य क्षमता को बढ़ाता है। धरती को जीवन्त और उपजाऊ बनाकर हमें फलफूलअनाज आदि प्रदान करता है। आज हमारे समक्ष उत्पन्न पर्यावरण संबंधी विभिन्न समस्याओं को भी अनुभव किया जा रहा है जिसका एक मात्र हल वृक्षारोपण है। इन समस्याओं के निराकरण के लिए सरकार ने भी वृक्षारोपण योजना को प्रश्रय देने के लिए विभिन्न योजनाओं को आकार दिया है। वन-महोत्सव एक आन्दोलन की शक्ल में देखा जा रहा है।
पंजाब में सिंचाई करके जंगल लगाये जा रहे हैं। अन्य प्रदेशों में भी वृक्षारोपण बड़े पैमाने पर | किया जा रहा है। निष्कर्षत : वृक्षारोपण का जीवन पर अत्यधिक प्रभाव है। हमारा कर्तव्य है कि हम स्थायी जंगलों की रक्षा करेंसाथ ही वृक्षारोपण द्वारा नये जंगल लगाने का प्रयास करें। इससे न केवल आंधीतूफान, बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों से हमारी रक्षा होगी अपितु इंधन की समस्या भी दूर होगी।
बंजर और व्यर्थ पड़ी भूमि को वृक्षारोपण द्वारा हम उपयोगी बना सकते हैं। वृक्षारोपण एक यज्ञ है और इस यज्ञ को पूरा करने में हमें तन-मनधन से जुट जाना चाहिए।
प्लिज नोट: आशा करते हैं आप को पेड़ों के महत्व पर निबंध (Importance of Trees Essay in Hindi) अच्छा लगा होगा।
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