Our Neighbors Essay in Hindi |Our Neighbors Nibandh
धन्य हैं वे लोग जिनके पड़ोस में सभ्य एवं शिक्षित व्यक्ति रहते हैं। अच्छे व्यक्तियों का संयोग बड़े जिस प्रकार मातापिता संस्कारों का पुत्र के ऊपर प्रभाव भाग्य से मिलता है
उसी प्रकार पड़ोस में रहनेवाले व्यक्ति के परिवारों एवं दुर्गुणों का प्रभाव व्यक्ति पर अजय पड़ता है। अच्छे पड़ोसी के साथ हमारा जीवन उल्लासपूर्वक व्यतीत होता है, परंतु दुर्भाग्यवश यदि पड़ोसी दुव्र्यसनों में लिप्त रहनेवाला हो तो उसके साथ जीवन का निर्वाह करना बड़ा ही कठिन हो जाता है।
आजकल शायद ही कोई ऐसा किराएदार मिलेगा जिसके साथ मकान मालिक के साथ तू तू मै मै न होती हो। जनसाधारण में प्रतिदिन हम मकान मालिक और किराएदार का वाक्युद्ध देखते हैं। लेकिन मेरे लिए ये सारी बातें अपवाद सिद्ध हुई हैं। मेरे पड़ोसी इतने सहदय तथा दयालु हैं कि उनके गुणों का ‘वर्णन करना बाणी के लिए कठिन है।
मेरे पड़ोसी एक डॉक्टर हैं। यद्यपि उन्होंने डॉक्टरों को शिक्षा किसी कॉलेज में प्राप्त नहीं की और न ही यह उनकी पैतृक संपत्ति थी, फिर भी इनके पास डॉक्टरी के सारे औजार एवं दवाइयां हैं। वे आयुर्वेदीय तथा अंग्रेजी दोनों प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन निरंतर करते रहते हैं। स्वतअध्ययन एवं परिश्रम के बल पर उन्होंने बड़े-बड़े सर्जनों के दांत खट्टे कर दिए हैं। किसी जमाने में उनका भी एक छोटा-सा परिवार था। उनका विवाह बाल्यकाल में ही हो गया था।
देव की इच्छा के सम्मुख मनुष्य को झुकना पड़ता है। माताजी बीमारी के कारण गोलोकवासी बन गई। देखते-देखते पिताजी ने भी बीमारी के कारण इस संसार से मुख मोड़ लिया। इससे उनके इदय पर गहरा आघात पहुंचा। अभी घाव भरा भी न था । कि उनकी धर्मपत्नी ने भी उनका साथ छोड़ दिया। संसार उन्हें निरर्थक प्रतीत हुआ। उन्होंने व्यथित इदय से मन हीमन प्रतिज्ञा की कि ‘ में डॉक्टर बनूगा और जीवन-भर एकाकी रहकर जनता का दु:ख दूर करेगा।’ तभी से वे निरंतर अपने उद्देश्य के प्रति प्रयत्नशील हैं।
वे जब भी किसी से मिलते हैं, सदा हंसकर बात करते हैं। उनको बाणी बड़ी ही मधुर । है तथा उनका हृदय बड़ा ही उदार है। उनको कभी भी आलस्य में पड़े हुए मैंने नहीं देखा। वे समय के इतने पाबंद हैं कि एक-एक मिनट का हिसाब रखते हैं। उनका उन्नत ललाट तथा वरदहस्त देखकर ही रोगी आश्वस्त हो जाता है। वे गरीब रोगियों को दवा मुफ्त में करते हैं। धनी और निर्धन दोनों के लिए वे समान रूप से परिश्रम करते हैं। वे स्वयं घाटा उठा लेते हैं, लेकिन कभी भी पड़ोसी को कष्ट नहीं देते। में प्रतिदिन भावविभोर होकर उनके क्रियाकलापों को देखता रहता हैं।
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