मोर पर निबंध |Peacock Essay in Hindi |Peacock Nibandh

Peacock Essay in Hindi |Peacock Nibandh

मोर पर निबंध – 1

हमारा राष्ट्रीय पक्षी । मोर एक अत्यन्त सुन्दर पक्षी । इसके शिकार पर प्रतिबन्ध। मोर की ‘के’ आवाज मधुर । मोर के पंख । पंखों का रंग। मोरनी के पंख बड़े नहीं होते । मोर की कलंगी। ऊंचे पेड़ पर निवास । बादल आने पर मोर का नाच । अधिक ऊंचाई तक उड़ नहीं सकता। मोर के पंख से पंखे बनते हैं । मोर मनष्य के शत्र सांपों को मार देता है । जहां मोर हों, वहां सांप नहीं आते ।

मोर पर निबंध – 2

मोर पक्षियों का राजा है और भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह पक्षियों में सबसे निराला है सबसे सुन्दर है । बाल- बालिका मोर को देखने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। मोर बड़ेबड़े वृक्षों पर रहता है । सवेरा होते ही वह अचानक -‘ बोल उठता है। उसकी बोली बहुत प्यारी होती है । मोर पक्षी का । शरीर बहुत बड़ा और भारी होता है । इसके पंख बहुत घने, भारी तथा लम्बे होते हैं । उस पर अन गिनत चाँद से बने होते हैं । पंखों का रंग चमकीलासुनहरा जामनीनीला होता है । संसार में किसी भी पक्षी के पंख इतने सुन्दर नहीं होते । मोरनी के पंख लम्बे नहीं होते। उसका शरीर भी इतना सुन्दर नहीं होता। जब बादल घिर आते हैं या जब सूर्य अस्त होने लगता है। तब मोर नाचता है । इसका नाच बहुत प्यारा होता है। यह | ताल के साथ नाचताथिरकता है ।

जब ताल पर यह जमीन पर पाँव मारता है, तब इसके सारे पंख सिहरते हैं और उनसे सरसर की आवाज होती है। मोर थिरकथिरककर नाचता हुआ पाँव का टुमका देता है । अपने नाच पर मुग्ध होकर मोर अपनी कलगी सीधी-कर लेता है। जब मोर नाच रहा हो तो उसके पास नहीं जाना चाहिए । नहीं तो वह अपने पंख समेटकर नाचना बन्द कर देता है । बीज, फल और कीड़े आदि मोर का भोजन हैं। वह साँपों को मार डालता है ।

इस तरह यह साँपों से मनुष्य को बचाता है । यह मनुष्य का उपकार करने वाला पक्षी है। वनोंबागों और मन्दिरों में भी बहुत से मोर रहते हैं । ये दिन में पेड़ों से नीचे उतर आते हैं। मोर जब नाचते हैं, तो मोरनी पास खड़ी गर्व से उसका नाच देखती रहती है । मोर के पैर सुन्दर नहीं होते । परन्तु उन पैरों का नाच बहुत सुन्दर होता है। भारत को अपने मोर पक्षी पर गर्व है।

मोर पर निबंध – 3

मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। मोर देखने में आकर्षक लगता होगा न खास तौर पर बरसात के मौसम में जब वह अपने रंग बिरंगे पख फैला कर नाचता है। यह एक बडा पक्षी है, गिध्द से भी बडा। इसके आकर्षक रंगीन पंखों की लम्बाई लगभग 1 से 15 मीटर होती है। किन्तु मोरनी को प्रकृति ने इतने सुन्दर पंख नहीं दिये , हालांकि मोर के सर पर मुकुट जैसी जो खूबसूरत कलंगी होती है वह मोरनी के सिर पर भी होती है। मोर की लम्बी गर्दन पर सुन्दर नीला मखमली रंग होता हैकिन्तु मोरनी की गर्दन हरा रंग चमकीला पन लिये होती है। पूरे भारत में इनका वितरण है।

इन्हें वैसे नदी व जलस्त्रोतों के पास वाले जंगल पसंद होते हैं। ये अकसर घने पेडों वाले इलाके में रहते हैं। और भावनात्मक तौर पर भारत के गाँवों में इन्हें जो स्नेह दिया जाता है उसके तहत ये निडर होकर गाँवों की गलियों में घूमते रहते हैं। कई बार राजस्थान के शहरी इलाकों में आराम से सडक पार करते दिखाई दे जाते हैं और इनके लिये ट्रेफिक तक रुक जाता है। एक मोर और चार पाँच मोरनियाँ का एक समूह होता है।

जिसमें कभी कभी कुछ अपरिपक्व मोर भी अपनी माँ के साथ घूमते दिखाई दे जाते हैं। ये बहुत सतर्क होते हैं। ये उडते बहुत कम हैं। जब आपात की स्थिति हो तब या फिर एक पेड से दूसरे पेड तक, नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक । रात्रि विश्राम के लिये ये एक बडे घने पेड आसरा लेते हैं। इनका प्रिय भोजन अन्न के दानेकोमल तने व पत्ते, कीडे, सांप, छिपकलियों आदि। कई बार ये खेतों का भी नुकसान कर जाते हैं।

इसकी आवाज तो पता है नापिया पिया और कभी कभी काँ की ध्वनि भी अन्तराल के साथ निकालता है। जब ये आवाज करता है तो अपनी गर्दन आगे पीछे करता है। जब इसे मोरनी को आकर्षित करना होता है तब यह अपने पंख फैला कर बडा सुन्दर मगर धीमी गति का नृत्य करता है। इसके नृत्य को देखकर मानव इतना प्रभावित हुआ है कि मयूर नृत्य को हमने नृत्य में शामिल कर लिया है। इसका नीड बनाने का समय जनवरी से अक्टूबर तक होता है। इसका घोंसला अकसर घनेरी झाडियों के बीच जमीन पर बना होता है, जिन्हें यह पत्तियों और डण्डियों से बनाता है। एक बार में यह 3 से 5 अण्डे देता है। इसके अन्डे चमकीले मगर पीलापन लिये सफेद होते हैं। इस प्रकार यह एक बहुत सुंदर पक्षी होता है।

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