बेटी बचाओ पर निबंध |Save our Daughters Essay in Hindi |Save our Daughters Nibandh

Save our Daughters Essay in Hindi |Save our Daughters Nibandh

बेटी बचाओ निबंध 1 (100 शब्द)

सामाजिक सन्तुलन को बनाये रखने के लिये, समाज में लड़कियाँ भी लड़कों की तरह महत्वपूर्ण है। कुछ वर्ष पहले, पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं की संख्या में भारी गिरावट थी। ये महिलाओं के खिलाफ अपराधों को बढ़ने के कारण था जैसे: कन्या भ्रूण हत्या, दहेज के लिये हत्या, बलात्कार, गरीबी, अशिक्षा, लिंग भेदभाव आदि। समाज में महिलाओं की संख्या को बराबर करने के लिये, लोगों को बड़े स्तर पर कन्या बचाने के बारे में जागरुक करने की आवश्यकता है। भारत की सरकार ने कन्याओं को बचाने के सन्दर्भ में कुछ सकारात्मक कदम उठाये है जैसे: महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम 2005, कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध, अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम, उचित शिक्षा, लिंग समानता आदि।


बेटी बचाओ निबंध 2 (150 शब्द)

महिलाओं के सम्पूर्ण सामाजिक और आर्थिक स्तर को सुधारने के लिये बेटी बचाओ विषय पर पूरे भारत में सभी के ध्यान को केन्द्रित करना है। केन्द्रीय या राज्य सरकार ने बेटी बचाओ के सन्दर्भ में निम्नलिखित कुछ पहलों को शुरु किया है:

  • कन्या (बालिका) बचाने के लिये, दिल्ली और हरियाणा सरकार ने 2008 में लाड़ली योजना को शुरु करके लागू किया था। इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के साथ ही साथ शिक्षा और समान लिंग अधिकार के माध्यम से बालिकाओं की स्थिति में सुधार था।
  • शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2011 में सबला योजना को शुरु किया था।
  • जन्म, पंजीकरण, और टीकाकरण के बाद बालिका के परिवार को नकद हस्तांतरण प्रदान करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा 2008 में धनलक्ष्मी योजना को शुरु किया गया था।
  • किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा किशोरी शक्ति योजना को शुरु किया गया था।
  • परिवार में एक लड़की की समान हिस्सेदारी को सुनिश्चित करने के लिए सुकन्या समृद्धि योजना शुरु की गयी।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (अर्थात् लड़कियों को बचाना और लड़कियों को पढ़ाना) योजना को 2015 में महिलाओं के कल्याण के लिये शुरु किया गया था।

बेटी बचाओ निबंध 3 (200 शब्द)

आजकल पूरे देश में लड़कियों को बचाने के सन्दर्भ में बेटी बचाओ विषय बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक जागरुकता का विषय है। लड़कियों को बचाने के लिये बहुत से प्रभावशाली उपायों को अपनाया गया है जिससे इन्हें बहुत हद तक बचाया जा सकता है। समाज में बड़े स्तर पर गरीबी का प्रसार है जो भारतीय समाज में अशिक्षा और लिंग असमानता का बहुत बड़ा कारण है। तो शिक्षा, गरीबी और लिंग भेदभाव को कम करने के साथ ही भारतीय समाज में बालिकाओं और औरत की स्थिति में सुधार के लिए महत्वपूर्ण तत्व है। आकड़ों के अनुसार, ये पाया गया है कि उड़ीसा में महिला साक्षरता लगातार गिर रही है जहाँ लड़कियाँ शिक्षा और अन्य गतिविधियों में समान पहुँच नहीं रखती है।

शिक्षा गहराई के साथ रोजगार से जुड़ी हुई है। कम शिक्षा का अर्थ है कम रोजगार जो समाज में गरीबी और लिंग असमानता का नेतृत्व करता है। महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिये शिक्षा बहुत प्रभावी कदम है क्योंकि ये इन्हें वित्तीय रुप से आत्मनिर्भर बनाता है। समाज में महिलाओं के समान अधिकार और अवसरों को सुनिश्चित करने के लिये सरकार ने कन्या बचाओं कदम उठाया है। बॉलीवुड अभिनेत्री (परिणीति चौपड़ा) को प्रधानमंत्री की हाल की योजना बेटी बचाओ (बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ) की एक आधिकारिक तौर पर ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है


बेटी बचाओ निबंध 4 (400 शब्द)

परिचय

लड़कियाँ वर्षों से भारत में कई तरह के अपराधों से पीड़ित है। सबसे भयानक अपराध कन्या भ्रूण हत्या है जिसमें अल्ट्रासाउंड के माध्यम से लिंग परीक्षण के बाद लड़कियों को माँ के गर्भ में ही मार दिया जाता है। बेटी बचाओ अभियान सरकार द्वारा स्त्री भ्रूण के लिंग-चयनात्मक गर्भपात के साथ ही बालिकाओं के खिलाफ अन्य अपराधों को समाप्त करने के लिए शुरु किया गया है।

कन्या भ्रूण हत्या का कन्या शिशु अनुपात-कमी पर प्रभाव

कन्या भ्रूण हत्या अस्पतालों (हॉस्पिटल्स) में चयनात्मक लिंग परीक्षण के बाद गर्भपात के माध्यम से किया जाना वाला बहुत भयानक कार्य है। ये भारत में लोगों की लड़कों में लड़कियों से अधिक चाह होने के कारण विकसित हुआ है। इसने काफी हद तक भारत में कन्या शिशु लिंग अनुपात में कमी की है। ये देश में अल्ट्रासाउंड तकनीकी के कारण ही सम्भव हो पाया है। इसने समाज में लिंग भेदभाव और लड़कियों के लिये असमानता के कारण बड़े दानव (राक्षस) का रुप ले लिया है। महिला लिंग अनुपात में भारी कमी 1991 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद देखी गयी थी। इसके बाद ये 2001 की राष्ट्रीय जनगणना के बाद समाज की एक बिगड़ती समस्या के रूप में घोषित की गयी थी। हालांकि, महिला आबादी में कमी 2011 तक भी जारी रही। बाद में, कन्या शिशु के अनुपात को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस प्रथा पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया गया था। 2001 में मध्य प्रदेश में ये अनुपात 932 लड़कियाँ/1000 लड़कें था हालांकि 2011 में 912/1000 तक कम हो गया। इसका मतलब है, ये अभी भी जारी है और 2021 तक इसे 900/1000 कम किया जा सकता है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जागरुकता अभियान की भूमिका

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक योजना है जिसका अर्थ है कन्या शिशु को बचाओं और इन्हें शिक्षित करों। ये योजना भारतीय सरकार द्वारा 22 जनवरी 2015 को कन्या शिशु के लिये जागरुकता का निर्माण करने के साथ साथ महिला कल्याण में सुधार करने के लिये शुरु की गयी थी। ये अभियान कुछ गतिविधियों जैसे: बड़ी रैलियों, दीवार लेखन, टीवी विज्ञापनों, होर्डिंग, लघु एनिमेशन, वीडियो फिल्मों, निबंध लेखन, वाद-विवाद, आदि, को आयोजित करने के द्वारा समाज के अधिक लोगों को जागरुक करने के लिये शुरु किया गया था। ये अभियान भारत में बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के द्वारा समर्थित है। ये योजना पूरे देश में कन्या शिशु बचाओ के सन्दर्भ में जागरुकता फैलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका को निभाने के साथ ही भारतीय समाज में लड़कियों के स्तर में सुधार करेगी।

निष्कर्ष

भारत के सभी और प्रत्येक नागरिक को कन्या शिशु बचाओ के साथ-साथ इनका समाज में स्तर सुधारने के लिए सभी नियमों और कानूनों का अनुसरण करना चाहिये। लड़कियों को उनके माता-पिता द्वारा लड़कों के समान समझा जाना चाहिये और उन्हें सभी कार्यक्षेत्रों में समान अवसर प्रदान करने चाहिये।


बेटी बचाओ निबंध 5 (450 शब्द)

परिचय

भारतीय समाज में लड़कियों की स्थिति बहुत समय से विवाद का विषय है। आमतौर पर प्राचीन समय से ही, लड़कियाँ की खाना बनाने और गुड़ियों के साथ खेलने में शामिल होने की मान्यता है जबकि लड़कें शिक्षा और अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होते है। लोगों की ऐसी पुरानी मान्यताएँ उन्हें नकली बनाकर महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने को प्रेरित करती है जिसका परिणाम समाज में बालिकाओं की संख्या में निरंतर कमी है। इसलिये, दोनों (महिला और पुरुषों) के लिंग-अनुपात को समान करने के साथ ही देश का विकास सुनिश्चित करने के लिये कन्याओं को बचाने की बहुत आवश्यकता है।

कन्या या बालिका बचाओ के सन्दर्भ में लिये गये प्रभावशाली कदम

बेटी बचाओ के सन्दर्भ में लिये गये बहुत से प्रभावी कदम निम्नलिखित है:

  • वर्षों से, भारतीय समाज में माता-पिता के द्वारा लड़के के जन्म की चाह के कारण महिलाओं की स्थिति पिछड़ी हुई है। इसने समाज में लिंग असमानता का निर्माण किया और लिंग समानता को लाकर इसे हटाना बहुत आवश्यक है।
  • समाज में व्याप्त अत्यधिक गरीबी ने महिलाओं के खिलाफ सामाजिक बुराई जैसे दहेज प्रथा जन्म दिया है जिसने महिलाओं की स्थिति को बद से बदतर (बहुत बुरा) बना दिया है। आमतौर पर माता-पिता सोचते है कि लड़कियाँ केवल रुपये खर्च कराती है जिसके कारण वो लड़कियों को बहुत से तरीकों (कन्या भ्रूण हत्या, दहेज के लिये हत्या) जन्म से पहले या बाद में मार देते है, कन्याओं या महिलाओं को बचाने के लिये ये मुद्दे समाज से बहुत शीघ्र खत्म करने की आवश्यकता है।
  • अशिक्षा एक दूसरा मुद्दा है जो दोनों लिंगों (लड़कों और लड़कियों) को उचित शिक्षा देने के माध्यम से खत्म किया जा सकता है।
  • बालिकाओं के जीवन को बचाने के लिये महिलाओं का सशक्तिकरण बहुत प्रभावशाली यंत्र है।
  • बेटी बचाओ के सन्दर्भ में कुछ प्रभावशाली अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरुक किया जाना चाहिये।
  • एक लड़की माँ के गर्भ में साथ ही साथ बाहर भी असुरक्षित है। वो जीवन भर उन पुरुषों के माध्यम से कई मायनों में भयभीत रहती है जिसने उन्हें जन्म दिया है। जिस पुरुष को उसने जन्म दिया है वो उससे शासित होती है और जो हमारे लिये बहुत हास्यपद और शर्मनाक है। कन्याओं को बचाने और उनके सम्मान को बनाने के लिये, शिक्षा सबसे बड़ी क्रान्ति है।
  • एक लड़की को प्रत्येक क्षेत्र में समान पहुँच और अवसर देने चाहिये।
  • सभी सार्वजनिक स्थानों पर लड़कियों के लिये रक्षा और सुरक्षा के प्रबंध करने चाहिये।
  • एक लडकी के परिवार के सदस्य बालिका बचाओं अभियान को सफल बनाने के लिए बेहतर लक्ष्य हो सकते है।

निष्कर्ष

बेटी बचाओ अभियान को लोगों को सिर्फ एक विषय के रुप में नहीं लेना चाहिये, ये एक सामाजिक जागरुकता का मुद्दा है जिसे गम्भीरता से लेने की जरुरत है। लोगों को लड़कियों को बचाना और सम्मान करना चाहिये क्योंकि वो पूरे संसार का निर्माण करने की शक्ति रखती है। वो किसी भी देश के विकास और वृद्धि के लिये समान रुप से आवश्यक है।

बेटी बचाओ निबंध 6 (500 शब्द)

परिचय

पृथ्वी पर मानव जाति का अस्तित्व, आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना असंभव है। दोनो ही पृथ्वी पर मानव जाति के अस्तित्व के साथ ही साथ किसी भी देश के विकास के लिये समान रुप से जिम्मेदार है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं पुरुषों से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनके बिना हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में नहीं सोच सकते क्योंकि वो मानव को जन्म देती है। तो कन्या शिशु को नहीं मारा जाना चाहिये, उन्हें आगे बढ़ाने के लिये सुरक्षा, सम्मान और समान अवसर प्रदान किये जाने चाहिये। वो सभ्यता के भाग्य निर्माण में मददगार और सृजन के स्त्रोत की जड़े है। हालांकि, महिलाएं कन्या भ्रूण हत्या, बलात्कार, यौन शोषण, दहेज के लिये हत्या आदि से अपनी ही बनायी गयी सभ्यता में पीड़ित है। ये कितना शर्मनाक है!

बेटी बचाओ अभियान क्यों

समाज में लोगों द्वारा एक शिशु कन्या को विभिन्न कारणों के कारण बचाया जाना चाहिये:

  • वो किसी भी क्षेत्र में लड़कों की तुलना में कम सक्षम नहीं है और अपना सर्वश्रेष्ठ देती है।
  • 1961 से कन्या भ्रूण हत्या एक गैर कानूनी अपराध है और लिंग परीक्षण चुनाव के बाद गर्भपात को रोकने के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है। लोगों को सभी नियमों को लड़कियों को बचाने के लिये सख्ती से पालन करना चाहिये।
  • लड़कियाँ लड़कों की तुलना में अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी साबित हो चुकी है।
  • वो अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के लिए ज्यादा जिम्मेदार साबित हो चुकी है।
  • वो अपने माता-पिता की और उनके कार्यों की अधिक परवाह करने वाली होती है।
  • एक महिला माता, पत्नी, बेटी ,बहन आदि होती है। प्रत्येक को ये सोचना चाहिये कि उसकी पत्नी किसी अन्य आदमी का बेटी है और भविष्य में उसकी बेटी किसी और की पत्नी होगी। इसलिये प्रत्येक को औरतों के हर एक रुप का सम्मान करना चाहिये।
  • एक लड़की अपनी जिम्मेदारियों के साथ-साथ अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों को बहुत वफादारी से निभाती है जो इन्हें लड़को से अधिक विशेष बनाती है।
  • लड़कियाँ मानव जाति के अस्तित्व का परम कारण है।

लड़कियों को बचाने के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदम

सरकार द्वारा लड़कियों को बचाने और शिक्षित करने के लिये बहुत से कदम उठाये गये है। इस बारे में सबसे हाल की पहल बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ है जो बहुत सक्रिय रूप से सरकार, एनजीओ, कॉरपोरेट समूहों, और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों द्वारा समर्थित है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ अपराध भारत में वृद्धि और विकास के रास्ते में बड़ी बाधा है। कन्या भ्रूण हत्या बड़े मुद्दों में से एक था हालांकि अस्पतालों में लिंग निर्धारण, स्कैन परीक्षण, उल्ववेधन, के लिए अल्ट्रासाउंड पर रोक लगा कर आदि के द्वारा सरकार ने प्रतिबंधित किया गया है। सरकार ने ये कदम लोगों को ये बताने के लिये लिया है कि लड़कियाँ समाज में अपराध नहीं हालांकि भगवान का दिया हुआ एक खूबसूरत तोहफा है।

निष्कर्ष

एक बेटी से नफरत, मृत्यु या अपमान नहीं किया जाना चाहिए। समाज और देश की भलाई के लिए उसे सम्मानित और प्यार किया जाना चाहिए। वो लड़कों की तरह की देश के विकास में समान रुप से भागीदार है।

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