महिला शिक्षा पर निबंध |Women’s Education Essay in Hindi |Women’s Education Nibandh

Women’s Education Essay in Hindi |Women’s Education Nibandh

भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 1 (100 शब्द)

किसी भी देश को पूर्ण रूप से विकसित होने के लिए वहां की महिलाओं का शिक्षित होना जरुरी है। यह एक तरह से उस दवाई की भांति है जो मरीज़ को ठीक होने में मदद करती है और उसे फिर से सेहतमंद बनने में मदद करती है। महिला शिक्षा एक बहुत बड़ा मुद्दा है भारत को आर्थिक रूप से तथा सामाजिक रूप से विकसित बनाने में। शिक्षित महिला उस तरह का औज़ार है जो भारतीय समाज पर और अपने परिवार पर अपने हुनर तथा ज्ञान से सकारात्मक प्रभाव डालती है। देश के आर्थिक और सामाजिक विकास के पीछे शिक्षित महिला का अमूल्य योगदान होता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि अनपढ़ महिला का जल्द ही विवाह कर दिया जाता है और वे जल्दी ही बच्चों को जन्म दे देती है। शिक्षित महिला ऐसा कदम सोच समझ कर उठा सकती है जिससे देश की बढती हुई जनसँख्या पर भी रोकथाम लगायी जा सकती है।


भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 2 (150 शब्द)

पौराणिक काल के भारत में महिलाओं के लिए शिक्षा का उचित प्रबंध था परन्तु मध्यकालीन युग के आते आते महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई थी। हालाँकि अगर हम आज की बात करे तो लोग महिलाओं की शिक्षा को लेकर बहुत जागरूक हो चुके है और यह अच्छी तरह समझते है कि बिना महिलाओं के शिक्षित हुए देश और समाज विकास नहीं कर सकता। यह तथ्य सत्य है की महिला और पुरुष दोनों मिल कर ही देश को हर क्षेत्र में पूर्ण रूप से विकसित कर सकते है।

महिलाओं को भी पुरुषों की तरह शिक्षा संबंधी गतिविधियों में बराबरी का मौका दिया जाना चाहिए। उन्हें शिक्षा से जुडी किसी भी तरह की कार्यवाही से दूर रखना क्रूरता के समान है। हमारे देश की आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व महिलाएं करती है। अगर महिलाएं अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पायी तो इसका मतलब है की हमारे देश का विकास भी अधूरा है जो देश को पिछड़ेपन की ओर ले जायेगा। महिलाओं के शिक्षित होने से समाज और देश में विकास भी तेज़ी से हो पायेगा। महिलाओं के लिए शिक्षा के महत्व को व्यापक स्तर पर फ़ैलाने के लिए पूरे देश में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है। एक शिक्षित महिला ही अपने परिवार का तथा देश का विकास कर सकती है।


भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 3 (200 शब्द )

महिला शिक्षा की दर कम होने की ही वजह से जनसंख्या के मामले में हमारा देश पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर आता है। अगर महिला खुद शिक्षित होगी तो देश का आने वाला भविष्य भी शिक्षित होगा। महिला शिक्षा मध्यकालीन भारत में बहुत बड़ा मुद्दा था हालाँकि आज यह मसला काफी हद तक सुलझ चुका है। भारत में अब महिला शिक्षा को पुरुषों की शिक्षा की ही तरह अहमियत दी जाती है ताकि महिलाएं भी सामाजिक और आर्थिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव ला सकें। पुराने ज़माने में महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाज़त नहीं थी। शिक्षा के नाम पर वे सिर्फ घरेलू कामकाज़ो तक ही सीमित थी।

राजा राममोहन राय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर कुछ ऐसे समाज सुधारक थे जिन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान महिलाओं के विकास के लिए काफी सराहनीय कार्य किया था। महिला तथा पुरुष दोनों मिल कर देश की आधी आधी जनसँख्या का प्रतिनिधित्व करते है। वे एक सिक्के के दो पहलू के समान है तो इस हिसाब से महिला तथा पुरुष दोनों ही देश के विकास में बराबरी के हक़दार है। महिलाओं के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि आने वाले वंश की जन्मदाता वे ही है। अगर महिलाएं अच्छी तरह से शिक्षित होंगी तो ही वे भविष्य में जन्मलेने वाली पीढ़ी को शिक्षा दे पाएंगी जिससे समाज और देश प्रगति कर पाएगा।


भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 4 (250 शब्द)

प्रस्तावना:

भारतीय समाज के सही आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए नारी शिक्षा बेहद ज़रूरी है। महिला एवं पुरुष दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। जिस तरह से साइकिल का संतुलन दोनों पहियों पर निर्भर होता है उसी तरीके से समाज का विकास भी पुरुष और महिला के कन्धों पर आश्रित है। दोनों ही देश को नई ऊँचाईयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं इसलिए दोनों को ही बराबर की शिक्षा का हक़ मिलना जरुरी है। अगर इन दोनों में से किसी भी एक की शिक्षा का स्तर गिरा तो समाज की प्रगति होना नामुमकिन है।

भारत में महिला सुरक्षा के लाभ:

भारत की उन्नति के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बहुत जरुरी है क्योंकि अपने बच्चों की पहली शिक्षक माँ ही होती है जो उन्हें जीवन की अच्छाईयों और बुराइयों से अवगत कराती है। अगर नारी शिक्षा को नजरंदाज़ किया गया तो देश के भविष्य के लिए यह किसी खतरे से कम नहीं होगा। एक अनपढ़ महिला में वो काबिलियत नहीं होती जिससे वह अपने परिवार, बच्चों का सही ख्याल रख सके। इस कारण आने वाली पीढ़ी कमज़ोर हो जाएगी। हम महिला साक्षरता के सारे लाभ की गिनती तो नहीं कर सकते पर इतना जरुर कह सकते है की एक शिक्षित महिला अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को अच्छे से निभा सकती है, उन्हें अच्छे बुरे का ज्ञान दे सकती है, सामाजिक तथा आर्थिक कार्य करके देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकती है।

एक पुरुष को शिक्षित करके हम सिर्फ एक ही व्यक्ति तक शिक्षा पहुँचा पाएंगे पर एक महिला को शिक्षित करके हम पूरे देश तक शिक्षा को पहुँचा पाएंगे। महिला साक्षरता की कमी देश को कमज़ोर बनाती है। इसलिए यह बहुत जरुरी है कि महिलाओं को उनकी शिक्षा का हक़ दिया जाए और उन्हें किसी भी तरह से पुरुषों से कम न समझा जाए।

निष्कर्ष:

आज के समय में भारत महिला साक्षरता के मामले में लगातार प्रगति कर रहा है। हिंदुस्तान के इतिहास में भी बहादुर महिलाओं जिक्र किया गया है। मीराबाई, दुर्गावती, अहिल्याबाई, लक्ष्मीबाई जैसी कुछ मशहूर महिलाओं के साथ-साथ वेदों के समय की महिला दर्शनशास्त्री गार्गी, विस्वबरा, मैत्रयी आदि का भी उदाहरण इतिहास का पन्नो में दर्ज है। ये सब महिलाएं प्रेरणा का स्रोत थी। समाज और देश के लिए दिए गये उनके योगदान को हम कभी नहीं भूल सकते।

भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 5 (300 शब्द)

भारत में महिला साक्षरता नए ज़माने की अहम जरुरत है। महिलाओं के शिक्षित हुए बिना हम देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। परिवार, समाज और देश की उन्नति में महिलाओं की भूमिका  बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के लोकतंत्र को सफल बनाने का एकमात्र रास्ता यहीं है की महिलाओं तथा पुरुषों को शिक्षा हासिल करने के लिए बराबरी का हक़ दिया जाए। शिक्षित महिलाएं ही देश, समाज और परिवार में खुशहाली ला सकती है। यह कथन बिलकुल सत्य है की एक आदमी सिर्फ एक व्यक्ति को ही शिक्षित कर सकता पर एक महिला पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है जिससे पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है।

आज महिला शिक्षा के महत्व को पहचानना बहुत आवश्यक है क्योंकि वे अपने बच्चो की पहली शिक्षक है जो आगे जाकर देश के निर्माण को एक नई पहचान देंगे। किसी भी बच्चे का भविष्य उसकी माँ द्वारा दिए प्यार और परवरिश पर निर्भर करता है जो एक महिला ही कर सकती है। हर बच्चा अपनी ज़िन्दगी की पहली सीख अपनी माँ से ही हासिल करता है। इसलिए माँ का शिक्षित होना बेहद जरुरी है जिससे वह अपने बच्चे में वे गुण डाल सके जो उसके जीवन को सही दिशा दे सके। शिक्षित महिलाएं सिर्फ अपने बच्चे ही नहीं बल्कि उनके आसपास और कई लोगों की जिंदगी को बदल सकती है जो देश को विकसित करने में महत्वपूर्ण किरदार अदा कर सकते है।

एक महिला अपने जीवन में माँ, बेटी, बहन, पत्नी जैसे कई रिश्तों को निभाती है। किसी भी रिश्ते में बंधने से पहले वह महिला देश की आजाद नागरिक है तथा वह उन सब अधिकारों की हक़दार है जो पुरुषों को मिले हुए हैं। उन्हें अपनी इच्छा अनुसार शिक्षा ग्रहण करने का हक़ है जिससे वे अपने मनपसंद क्षेत्र में कार्य कर सके। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने तथा आत्मनिर्भर बनाने में शिक्षा सहायता करती है। शिक्षा न सिर्फ महिलाओं का समाज में स्तर ऊँचा करती है बल्कि महिलाओं के प्रति समाज की उस संकीर्ण सोच, जिसमे उन्हें माँ-बाप पर बोझ की तरह देखा जाता था, को भी खत्म करती है।

शिक्षा महिलाओं को पुरुषों की भांति समाज और देश को प्रगति के पथ पर ले जाने के कर्तव्य से भी अवगत कराती है।

भारत में महिला शिक्षा पर निबंध 6 (400 शब्द)

पौराणिक युग से लेकर आजादी के बाद के समय तक महिला साक्षरता को लेकर किये गये प्रयासों में बहुत प्रगति हुई है। हालाँकि अभी यह कार्य संतुष्टि के स्तर तक नहीं पहुँचा है। अभी भी इस दिशा में काफी काम करना बाकी है। भारत के विश्व में बाकी देशों से पिछड़ने के पीछे महिला साक्षरता की कमी का ही होना है। भारत में महिला साक्षरता को लेकर गंभीरता इसलिए कम है क्योंकि बहुत पहले समाज में महिलाओं पर तरह-तरह की पाबंदियां थोप दी गई थी। इन पाबंदियों का जल्द ही हटाना बेहद जरुरी है। इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए हमें महिला शिक्षा को लेकर व्यापक स्तर पर जागरूकता फैलानी होगी और महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति प्रेरित करना होगा जिससे वे आगे आकर समाज और देश को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सके।

महिला शिक्षा की बेहतरी के लिए निम्नलिखित योजनायें भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है:

  • सर्व शिक्षा अभियान
  • इंदिरा महिला योजना
  • बालिका समृधि योजना
  • राष्ट्रीय महिला कोष
  • महिला समृधि योजना
  • रोज़गार तथा आमदनी हेतु प्रशिक्षण केंद्र
  • महिलाओं तथा लड़कियों की प्रगति के लिए विभिन्न कार्यक्रम

भारत में महिला शिक्षा को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारण है:

  • कुपोषण तथा भरपेट खाना न मिलना
  • नाबालिग उम्र में यौन उत्पीड़न
  • माता–पिता की ख़राब आर्थिक स्थिति
  • कई तरह की सामाजिक पाबंदी
  • घर में माता-पिता या सास-ससुर का कहना मानने का दबाव
  • ऊँची शिक्षा हासिल करने की अनुमति ना होना
  • बचपन में संक्रमण रोग से लड़ने की प्रयाप्त शक्ति की कमी

सर्व शिक्षा अभियान क्या है

सर्व शिक्षा अभियान एक राष्ट्रीय योजना है जिसे भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य 8 साल तक 6 से 14 वर्ष के बच्चों को उत्तम शिक्षा देने का है। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गयी इस योजना का मुख्य लक्ष्य है:

  • 2002 तक देश के सभी जिलो में शिक्षा को पहुँचाना।
  • 2003 तक सभी बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाना।
  • 2007 तक सभी बच्चों की न्यूनतम 5 साल की शिक्षा अनिवार्य करना।
  • 2010 तक सभी बच्चें अपनी 8 साल की शिक्षा पूरी कर चुके हो इसको सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में महिला शिक्षा का स्तर काफी बढ़ा है। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अलग से विशेष योजनायें चलाई गयी है। गावों में महिलाओं को शिक्षित करने के साथ–साथ उनके लिए रोज़गार संबंधी अवसर भी बढ़ाये जाने चाहिए जिससे वे अच्छी आमदनी अर्जित कर अपने परिवार का सही गुज़ारा कर सके।

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